कुछ अलग करने की ललक, समाज को कुछ देने की जिम्मेदारी ने इन्हें खास बना लिया। सरकारी तंत्र से जूझते समय तमाम दिक्कतें आई मगर उन्होंने अपना अटल इरादा नहीं बदला। परिवर्तन चाहते थे, दिक्कतें आई मगर सफलता भी मिली ़ ़ ़यही परिवर्तन उनकी सफलता की कहानी कहता है। बात चाहें किन्नरों के लिए अलग पहचान दिलाने की हो या ग्राम्य विकास के लिए खुद को समर्पित करने की। उन्होंने कभी खुद को कमजोर साबित नहीं होने दिया। आइटीआइ के जरिए सरकारी तंत्र को अहसास दिलाना कि कि जनता मालिक जबाव मांग सकती है ़ ़ ़यह काम भी बखूबी हुआ। एक खास सामाजिक जिम्मेदारी, गर्भ में पल रही कन्याओं को बचाने की ़ ़ ़इसकी भी सकारात्मक पहल हो चुकी है, शहर वाले जागे हैं।
सात साल से आइटीआइ के जरिए किन्नरों को हक दिलाने की कोशिश में लगे डा. एसई हुदा को इस साल सफलता मिली। उनके प्रयासों के बाद किन्नरों को जनगणना में अलग कालम मिल सका। इससे पहले किन्नरों को पुरुषों में गिना जाता था। डा.हुदा ने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी। राष्ट्रपति, गृहमंत्री, चुनाव आयोग से लेकर योजना आयोग कार्यालय तक अपनी मांग को उठाते रहे। अंतत: सफलता मिली और भारत एशिया का पहला देश बना जहां किन्नरों को जनगणना में अलग स्थान दिया गया। यूआइडी कार्ड में भी किन्नरों के लिए अलग कालम तय कराने के लिए उन्होंने मुहिम छेड़ी और इसमें भी सफलता मिली।
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो,--------
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
अभी तो टूटी है कच्ची मिट्टी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं
अभी तो किरदार ही बुझे हैं।
अभी सुलगते हैं रूह के ग़म, अभी धड़कते हैं दर्द दिल के
अभी तो एहसास जी रहा है
यह लौ बचा लो जो थक के किरदार की हथेली से गिर पड़ी है
यह लौ बचा लो यहीं से उठेगी जुस्तजू फिर बगूला बनकर
यहीं से उठेगा कोई किरदार फिर इसी रोशनी को लेकर
कहीं तो अंजाम-ओ-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
fight for Eunuchs
बरेली : दिल्ली के अग्निकांड में जान गंवाने वाले किन्नरों के लिए गांधी उद्यान में गांधी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। आत्मा की शांति को प्रार्थना के साथ किन्नर आयोग गठित किए जाने की मांग भी उठाई गई। सैयद फरजंद अली एजूकेशन एंड सोशल फाउंडेशन की तरफ आयोजित श्रद्धांजलि सभा में मौत का शिकार बने किन्नरों की याद में मोमबत्तियां भी जलाई गईं। सिस्फा इस्फी के सचिव डा. एसई हुदा ने कहा कि घटना की बारीकी से जांच होना चाहिए। इसके साथ किन्नरों पर होने वाले अत्याचार रोकने के लिए आयोग भी बने। ताकि किन्नरों का सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्तर सुधारा जा सके। उनकी समस्याओं का निस्तारण हो। उन्हें भी समाज की मुख्यधारा में जुड़ने का अवसर मिले। श्रद्धांजलि सभा में महताब अली खां, पम्मी खां वारसी इत्यादि शामिल रहे।
“दर्द होता रहा छटपटाते रहे, आईने॒से सदा चोट खाते रहे, वो वतन बेचकर मुस्कुराते रहे
Summary of All scams of India : Rs. 910603234300000/-
See how Lokpal Bill can curb the politicians, Circulate it to create awareness
Existing System
System Proposed by civil society
No politician or senior officer ever goes to jail despite huge evidence because Anti Corruption Branch (ACB) and CBI directly come under the government. Before starting investigation or prosecution in any case, they have to take permission from the same bosses, against whom the case has to be investigated.
Lokpal at centre and Lokayukta at state level will be independent bodies. ACB and CBI will be merged into these bodies. They will have power to initiate investigations and prosecution against any officer or politician without needing anyone’s permission. Investigation should be completed within 1 year and trial to get over in next 1 year. Within two years, the corrupt should go to jail.
No corrupt officer is dismissed from the job because Central Vigilance Commission, which is supposed to dismiss corrupt officers, is only an advisory body. Whenever it advises government to dismiss any senior corrupt officer, its advice is never implemented.
Lokpal and Lokayukta will have complete powers to order dismissal of a corrupt officer. CVC and all departmental vigilance will be merged into Lokpal and state vigilance will be merged into Lokayukta.
No action is taken against corrupt judges because permission is required from the Chief Justice of India to even register an FIR against corrupt judges.
Lokpal & Lokayukta shall have powers to investigate and prosecute any judge without needing anyone’s permission.
Nowhere to go - People expose corruption but no action is taken on their complaints.
Lokpal & Lokayukta will have to enquire into and hear every complaint.
There is so much corruption within CBI and vigilance departments. Their functioning is so secret that it encourages corruption within these agencies.
All investigations in Lokpal & Lokayukta shall be transparent. After completion of investigation, all case records shall be open to public. Complaint against any staff of Lokpal & Lokayukta shall be enquired and punishment announced within two months.
Weak and corrupt people are appointed as heads of anti-corruption agencies.
Politicians will have absolutely no say in selections of Chairperson and members of Lokpal & Lokayukta. Selections will take place through a transparent and public participatory process.
Citizens face harassment in government offices. Sometimes they are forced to pay bribes. One can only complaint to senior officers. No action is taken on complaints because senior officers also get their cut.
Lokpal & Lokayukta will get public grievances resolved in time bound manner, impose a penalty of Rs 250 per day of delay to be deducted from the salary of guilty officer and award that amount as compensation to the aggrieved citizen.
Nothing in law to recover ill gotten wealth. A corrupt person can come out of jail and enjoy that money.
Loss caused to the government due to corruption will be recovered from all accused.
Small punishment for corruption- Punishment for corruption is minimum 6 months and maximum 7 years.
Enhanced punishment - The punishment would be minimum 5 years and maximum of life imprisonment.
Dear All, Please go through the details carefully & try to be part of this mission against corruption। Things to know about Anna Hazare and Lok pal Bill-: 1.Who is Anna Hazare? An ex-army man(Unmarried). Fought 1965 Indo-Pak War. 2.What's so special about him? He built a village Ralegaon Siddhi in Ahamad Nagar district, Maharashtra 3.This village is a self-sustained model village. Energy is produced in the village itself from solar power, biofuel and wind mills. In 1975, it used to be a poverty clad village. Now it is one of the richest village in India . It has become a model for self-sustained, eco-friendly & harmonic village. 4.This guy, Anna Hazare was awarded Padma Bhushan and is a known figure for his social activities. 5.He is supporting a cause, the amendment of a law to curb corruption in India . 6. How that can be possible? He is advocating for a Bill, The Lok Pal Bill (The Citizen Ombudsman Bill), that will form an autonomous authority who will make politicians (ministers), bureaucrats (IAS/IPS) accountable for their deeds. 7. It's an entirely new thing right॥? In 1972, the bill was proposed by then Law minister Mr. Shanti Bhushan. Since then it has been neglected by the politicians and some are trying to change the bill to suit their theft (corruption). 8. Oh.. He is going on a hunger strike for that whole thing of passing a Bill ! How can that be possible in such a short span of time? The first thing he is asking for is: the govt should come forward and announce that the bill is going to be passed. Next, they make a joint committee to DRAFT the LOK PAL BILL. 50% government participation and 50% public participation. Bcoz u can't trust the govt entirely for making such a bill which does not suit them. 9.What will happen when this bill is passed? A LokPal will be appointed at the centre. He will have an autonomous charge, say like the Election Commission of India. In each and every state, Lokayukta will be appointed. The job is to bring all alleged party to trial in case of corruptions within 1 year. Within 2 years, the guilty will be punished. Pass this on n show ur support.. Spread it like fire; Our Nation needs us... Please Contribute...
दैनिक जागरण १०-०८-२०११प्रमोद यादव, बरेली यह एक संयोग ही था कि एक किन्नर ने एक डाक्टर के मन को झकझोर दिया और शुरु हो गया समाज के सबसे उपेक्षित वर्ग के अधिकारों का संघर्ष। सफर अकेले शुरु हुआ मगर अब कारवां बढ़ चुका है। छह साल में कई सफलतायें जुड़ी हैं डा।एसई हुदा के खाते में, लेकिन नासमझ दोस्तों की अर्थपूर्ण मुस्कराहट और बातों के बीच थर्ड जेंडर के अधिकारों के लिए लड़ रहे फिजियोथेरेपिस्ट डा. हुदा का संकल्प उनको मुख्य धारा से जोड़ने का है। डा. हुदा के पास 2005 में एक किन्नर इलाज कराने आया। उसने पर्चा पहले लगाया लेकिन उनसे मिलने सबसे बाद में पहुंचा। यह पूछने पर कि सबसे बाद में क्यों आए॥? उसका जवाब ही अपने आप में बड़ा सवाल था। बोला, क्या आप सभ्य समाज के बीच हमारा इलाज कर सकेंगे? इससे पहले जिन डाक्टरों के पास गये, सभी कहते थे कि सबसे बाद में आया करो। यही वह बात थी जो डा. हुदा के मन को कहीं गहरे तक छू गई और शुरू हो गया किन्नरों के अधिकारों के लिए संघर्ष। किन्नरों को अधिकार दिलाने के लिए डा. हुदा ने सैयद शाह फरजंद अली एजुकेशन एंड सोशल फाउंडेशन आफ इंडिया (सिस्फा इस्फी) बनाई। 2006 में अजमेर शरीफ गये और वहां से किन्नरों को एकजुट किया। वहां पर हर साल हजारों की तादात में किन्नर पहुंचते हैं। यही से किन्नरों के अधिकारों की लड़ाई शुरू हुई। शासन से पत्र व्यवहार शुरू किया और इससे आरटीआइ का जमकर इस्तेमाल किया। अंजान लोगों के लिए कई बार वह मजाक का विषय बने और जानने वालों ने भी खूब छींटाकशी की। लेकिन जब सबसे पहले मतदाता सूचियों में किन्नरों के लिए अलग से कॉलम बनवाने सफलता मिली तब उनके अभियान का कुछ-कुछ अर्थ लोगों की समझ में आने लगा। यह उनके लिए बड़ी और ऐतिहासिक जीत थी। इसके बाद लड़ाई शुरु हुई जनगणना में अलग से कॉलम बनाने की। तमाम भाग दौड़ के बाद पुरुष, महिला के बाद किन्नरों की गणना का कालम बना। यूनिक आइडी में टी अर्थात थर्ड जेंडर का कालम बनाने के लिए भी सरकार मान गई है। किन्नरों की गणना अभी पूरी नहीं लेकिन अनुमान के मुताबिक देश भर में करीब एक करोड़ किन्नर है। इसमें से करीब 20 हजार किन्नर सिस्फा इस्फी से जुड़ चुके हैं। अब उनकी अगली मांग है कि महिला आयोग के तर्ज पर किन्नर आयोग बने। इसके लिए वह जनहित याचिका दायर करने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा कि कानूनी रूप से किन्नरों को समाज में अधिकार मिल जाय तो वह मुख्य धारा में जीवन जी सकते हैं। इसी अभियान के साथ-साथ उन्होंने किन्नरों को शिक्षित करने का भी काम शुरू कर दिया है।
बरेली: रसोई गैस और डीजल के मूल्यों में फिर हुई वृद्धि किन्नरों को भी नागवार गुजरी है। इसके विरोध में कलेक्ट्रेट पर जुटे तमाम किन्नरों ने ठुमके लगाकर अनूठे अंदाज में अपना विरोध प्रदर्शन किया। खुलकर बोले भी। केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। उन्होंने कहा कि महंगाई बढ़ाकर केन्द्र सरकार गरीबों को मार डाल रही है। ऐसे में गरीबों के लिए हम किन्नरों की चिंता बढ़ जाती है। किन्नर सरोज, आशा, मुस्कान और राजू शमीम आदि ने कहा कि जरूरत पड़ी तो सारे किन्नर दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात करेंगे। किन्नरों ने सिस्फा-इस्फी के सचिव एवं चिकित्सक डॉ. एसई हुदा के नेतृत्व में राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट मनोज कुमार को सौंपा। ज्ञापन के जरिए राष्ट्रपति से मंहगाई कम करने की मांग उठाई गई है। इस मौके पर कोलकाता से आई किन्नर लक्ष्मी ने कहा कि यदि केन्द्र सरकार ने मूल्य वृद्धि वापस नहीं ली तो देश भर के किन्नर ही इसके विरोध में खड़े हो जाएंगे।
'School' for eunuchs to give them lessons in nursing, computers - India - DNA
In a unique effort to bring eunuchs in social mainstream, a "school" has been specially set up for transgenders in the district which will also provide them vocational training.
"Eunuchs are generally ostracised by society. They have full right to live like normal people," Syed Ehtshaam Huda, chief medical superintendent and the brain behind the school, said.
The school, which has been named as 'Aas' (hope), will also offer rehabilitation services.
"There is a need to identify and address problems being faced by eunuchs," Huda said, adding the school will not only provide general education, but will also give them vocational training in sewing, nursing, computers, beauty care and cooking.
"The eunuchs will be trained in personality development skills and made aware about their fundamental rights and duties," said the doctor, who had in the past launched a campaign for separate enumeration of transgenders.
He said that initially the school is being run on weekly basis, but will start operating daily.
"The schools will not have permanent teachers. Instead guest lecturers from the field of academics, social, judiciary, economic and science fields will be invited to answer queries of eunuchs," Huda said.
President of All India Kinnar Association Sonia Haji said that it was an important step towards uplift of eunuchs in the country.
Noted historian and former professor of Jawaharlal Nehru University UP Arora said that eunuchs have had a glorious past and such steps were needed to ameliorate their living conditions.
Feb 20, 11:22 am
बरेली। समाज के सबसे तिरस्कृत तबके यानी किन्नरों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें सम्मानपूर्ण जीवन जीने का अधिकार दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल के तहत उत्तर प्रदेश के बरेली में देश का सम्भवत: अपनी तरह का पहला 'किन्नर स्कूल' खोला गया है।
बरेली की गैर सरकारी संस्था शेख फरजंद अली एजुकेशनल एण्ड सोशल फाउंडेशन आफ इंडिया [सिस्फा-इस्फी] ने किन्नरों के लिए 'आस' नाम से यह स्कूल सह पुनर्वास केन्द्र खोला है। इसे देश में अपनी तरह का पहला तरबियती इदारा माना जा रहा है।
देश में जारी जनगणना में किन्नरों के लिए अलग श्रेणी आवंटित करवाने के लिए सफल मुहिम चला चुकी संस्था 'सिस्फा-इस्फी' के सचिव और शहर के एक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर सैयद एहतेशाम हुदा ने कहा कि किन्नर भी आम इंसान हैं और उन्हें भी सामान्य लोगों की तरह जिंदगी जीने का हक है।
उन्होंने कहा कि देश में किन्नरों को हिक़ारत भरी नज़रों से देखा जाता है और इसी तिरस्कार के चलते यह तबका समाज की मुख्यधारा से कोसों दूर है। लोगों की बलाएं लेने वाले किन्नरों का पीछा कर रही बलाओं को खत्म करने की फिक्र भी जरूरी है।
हुदा ने बताया कि समाज में हाशिए पर खड़े किन्नरों को इस बहुआयामी स्कूल में सामान्य शिक्षा के अलावा जरी-जरदोजी, सिलाई, कढ़ाई, नर्सिग, कम्प्यूटर, ब्यूटीशियन, रिसेप्शनिस्ट तथा कुकिंग समेत विभिन्न रोजगारपरक कार्याें का प्रशिक्षण देने के साथ-साथ व्यक्तित्व निर्माण के गुण तथा संवैधानिक अधिकारों एवं कर्तव्यों के बारे में जानकारी देकर जागरूकता पैदा की जाएगी।
हुदा ने बताया कि किन्नरों के लिए स्कूल एवं पुनर्वास केन्द्र फिलहाल सप्ताह में एक दिन खोला जाता है लेकिन जल्द ही इसमें रोजाना कक्षाएं चलाई जाएंगी।
उन्होंने बताया कि स्कूल में शिक्षण-प्रशिक्षण का तौर-तरीका भी नई परिकल्पना पर आधारित है। इस स्कूल में स्थाई अध्यापक नहीं होंगे। इसमें वह खुद आकर किन्नरों को पढ़ाएंगे।
इसके अलावा रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी जरूरतों के बारे में किन्नरों की जिज्ञासाओं और सवालों के जवाब देने के लिए शैक्षिक, सामाजिक, न्यायिक, आर्थिक और वैज्ञानिक क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों को अतिथि अध्यापक के तौर पर बुलाया जाएगा।
आल इंडिया किन्नर एसोसिएशन की अध्यक्ष सोनिया हाजी ने किन्नरों के लिए स्कूल खोले जाने का स्वागत करते हुए इसे देश में किन्नरों की हालत में सुधार की दिशा में उठाया गया अत्यंत महत्वपूर्ण कदम बताया।
उन्होंने कहा कि इसके जरिए किन्नर अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक होकर मुख्यधारा में शामिल होने के वास्ते मानसिक रूप से तैयार हो जाएंगे।
किन्नरों के कल्याण के प्रति हुदा की मुहिम से जुड़े देश के प्रख्यात इतिहासकार तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रोफेसर यू. पी. अरोड़ा ने बताया कि विश्व इतिहास में किन्नरों का गौरवशाली इतिहास रहा है और एक वक्त तो मिस्र की अदालतें किन्नरों के जिम्मे थीं।
उन्होंने कहा कि 'सिस्फा-इस्फी' द्वारा स्थापित किया गया किन्नर स्कूल सह पुनर्वास केन्द्र देश में अपनी तरह का पहला केन्द्र है।
गौरतलब है कि सिस्फा-इस्फी द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति भवन को पत्र लिखकर गुजारिश किए जाने के बाद सरकार ने जनगणना में किन्नरों के लिए अलग श्रेणी आवंटित करने पर गौर के लिए पिछले साल एक तकनीकी सलाहकार समिति गठित की थी, जिसकी सिफारिश पर सरकार ने किन्नरों के लिए महिला और पुरुष वर्ग के अतिरिक्त किन्नरों के लिए 'कोड 3' की व्यवस्था की थी।
बकौल हुदा, सरकार ने सूचना का अधिकार कानून के तहत अर्जी दिए जाने पर उन्हें यह जानकारी दी थी।
हुदा ने कहा कि देश में राष्ट्रीय महिला आयोग की तर्ज पर किन्नर आयोग का भी गठन होना चाहिए और इस सिलसिले में वह जल्द ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा संप्रग अध्यक्ष सोनिया गाधी से मुलाकात कर उनसे यह माग करेंगे।
उन्होंने कहा कि इसके लिए दिल्ली में वरिष्ठ अधिवक्ताओं से राय ली जा रही है और जरूरत पड़ने पच् उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका भी दायर की जाएगी।