बरेली, जागरण संवाददाता : किन्नरों को बीमार कहने पर स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के बयान को लेकर यहां पुरजोर विरोध दर्ज कराया गया। सिस्फा-इस्फी संस्था ने बैनर तले किन्नरों ने गांधी उद्यान में धरना देकर स्वास्थ्य मंत्री से सार्वजनिक माफी मांगने की मांग की। इस मौके पर सिस्फा-इस्फी के सचिव डॉ. एसई हुदा ने कहा कि जिस तरह पुरुष और महिला समाज की कड़ी हैं, वैसे ही किन्नर भी हमारे ही समाज का अंग हैं। वे आसमान से टपके प्राणी नहीं हैं कि उन्हें जो चाहे कह दो। डॉ. हुदा ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने किन्नरों को बीमार बताकर मानवीय संवेदनाओं एवं भावनाओं का हनन किया है। अगर उन्होंने इस बयान के लिए माफी नहीं मांगी तो देश के सारे किन्नर आंदोलन को विवश होंगे। विरोध प्रदर्शन में सरोज किन्नर, राजू, काजल किन्नर, आयशा मुस्कान के अलावा दिलशाद सिद्दीकी, विशेष कोठियाल, संजीव, सुभाष व इमरान आदि प्रमुख रूप से शामिल हुए। सभी ने संयुक्त हस्ताक्षर से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी भेजा, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री को बयान के लिए किन्नरों से सार्वजनिक माफी मांगने की मांग की गई है।
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो,--------
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्ताँ आगे और भी है
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
अभी तो टूटी है कच्ची मिट्टी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं
अभी तो किरदार ही बुझे हैं।
अभी सुलगते हैं रूह के ग़म, अभी धड़कते हैं दर्द दिल के
अभी तो एहसास जी रहा है
यह लौ बचा लो जो थक के किरदार की हथेली से गिर पड़ी है
यह लौ बचा लो यहीं से उठेगी जुस्तजू फिर बगूला बनकर
यहीं से उठेगा कोई किरदार फिर इसी रोशनी को लेकर
कहीं तो अंजाम-ओ-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
अभी तो टूटी है कच्ची मिट्टी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं
अभी तो किरदार ही बुझे हैं।
अभी सुलगते हैं रूह के ग़म, अभी धड़कते हैं दर्द दिल के
अभी तो एहसास जी रहा है
यह लौ बचा लो जो थक के किरदार की हथेली से गिर पड़ी है
यह लौ बचा लो यहीं से उठेगी जुस्तजू फिर बगूला बनकर
यहीं से उठेगा कोई किरदार फिर इसी रोशनी को लेकर
कहीं तो अंजाम-ओ-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
fight for Eunuchs
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