अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो,--------

अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्ताँ आगे और भी है
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
अभी तो टूटी है कच्ची मिट्टी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं
अभी तो किरदार ही बुझे हैं।
अभी सुलगते हैं रूह के ग़म, अभी धड़कते हैं दर्द दिल के
अभी तो एहसास जी रहा है
यह लौ बचा लो जो थक के किरदार की हथेली से गिर पड़ी है
यह लौ बचा लो यहीं से उठेगी जुस्तजू फिर बगूला बनकर
यहीं से उठेगा कोई किरदार फिर इसी रोशनी को लेकर
कहीं तो अंजाम-ओ-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!















fight for Eunuchs

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जनगणना २०११ में किन्नरों को अलग से स्थान दिये जाने की मुहिम में मिली बड़ी सफलता।

4:33 AM / Posted by huda /


दिनांक ०३.०५.२०१० और ०४.०५.२०१० को संस्था सिस्फा-इस्फी को प्रधानमंत्री कार्यालय भारत सरकार तथा गृहमंत्रालय भारत सरकार से क्रमशः दो पत्र प्राप्त हुए हैं। सर्वविदित है कि ॰संस्था सय्यद शाह फरज़न्द अली एजुकेशनल एण्ड सोशल फाउंडेशन ऑफ इण्डिया॰ के सचिव डॉ० एस० ई० हुदा द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम २००५ के अन्तर्गत प्रधानमंत्री कार्यालय से देश में होने वाली पन्द्रहवीं जनगणना २०११ में किन्नर समाज की अलग से गणना किये जाने के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी माँगी गयी थी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने उपर्युक्त विषय को गंभीरतापूर्वक जानकारी में लेते हुए गृह मंत्रालय भारत सरकार को अतिशीघ्र कार्यवाही का आदेश दिये हैं और समस्त जानकारी निर्धारित समयसीमा के अन्तर्गत उप्लब्ध कराने का संस्था को भी आश्वासन दिया है।
अतः आपसे निवेदन है कि लगभग एक करोड़ आबादी वाले किन्नर समुदाय को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के लिये हमारे प्रयास को बल दें। साथ ही सविनय अनुरोध है कि किन्नरों के हक़ में उठी संस्था की इस आवाज़ को देशव्यापी आवाज़ बनाने में हमारा सहयोग करें।
भवदीय - डॉ० एस० ई० हुदा (सचिव)

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