अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो,--------

अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्ताँ आगे और भी है
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
अभी तो टूटी है कच्ची मिट्टी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं
अभी तो किरदार ही बुझे हैं।
अभी सुलगते हैं रूह के ग़म, अभी धड़कते हैं दर्द दिल के
अभी तो एहसास जी रहा है
यह लौ बचा लो जो थक के किरदार की हथेली से गिर पड़ी है
यह लौ बचा लो यहीं से उठेगी जुस्तजू फिर बगूला बनकर
यहीं से उठेगा कोई किरदार फिर इसी रोशनी को लेकर
कहीं तो अंजाम-ओ-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!















fight for Eunuchs

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मतदाता सूची में किन्नरों को मिला है अलग कालम---

7:17 AM / Posted by huda /



ऐतिहासिक :



मतदाता सूची में अलग कैटेगरी में शामिल किए गए हैं किन्नर---



राजीव शर्मा, बरेली विधानसभा चुनाव में यह पहला मौका होगा जब थर्ड जेंडर अपनी पहचान के साथ मतदान करेंगे। इस मायने में यह नए इतिहास का आगाज होगा। विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची में प्रदेश भर से निर्वाचन आयोग ने 1292 किन्नरों को अन्य की कैटेगिरी में शामिल किया है। थर्ड जेंडर को यह पहचान बरेली से उठी आवाज पर ही मिली थी। सिस्फा-इस्फी संस्था यानि सैयद शाह फरजंद अली एजुकेशनल एंड सोशल फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी थी। संस्था की पहल पर सारे किन्नर एकजुट हुए और उनकी आवाज भारत निर्वाचन आयोग को सुननी ही पड़ी। सिस्फा-इस्फी के सचिव एवं बरेली में सिद्धि विनायक हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसई हुदा ने वर्ष 2006 में तृतीय लैंगिक समानता सम्मेलन में देश भर के किन्नरों को बरेली में जुटाया था और यहां से ही अलग पहचान की आवाज बुलंद हुई। भारत सरकार और निर्वाचन आयोग में लंबी चली मांगों के नतीजे सार्थक रहे। वर्ष 2010 में किन्नरों को मतदाता सूची में अन्य की कैटेगिरी में रखने का भारत निर्वाचन आयोग ने निर्णय ले लिया। डॉ. हुदा बताते हैं कि इससे पहले किन्नरों को मतदाता सूची में उनकी मर्जी के मुताबिक पुरुष या महिला के कॉलम में दर्ज किया जाता था। इससे लोकतंत्र के महासमर में किन्नरों की अलग पहचान गायब थी। सिस्फा-इस्फी ने थर्ड जेंडर के लिए दूसरी लड़ाई जनगणना में अन्य के कॉलम तीन में शामिल करने की जीती। जनगणना के महा रजिस्ट्रार ने उनकी आवाज सुनी अब थर्ड जेंडर जनगणना में कॉलम तीन पर अपना स्थान बना चुके हैं। इसी तरह सिस्फा-इस्फी की मांग पर यूआईडी में भी थर्ड जेंडर को लिंग की अन्य कैटेगिरी में ही रखा गया है। मतदाता सूची, जनगणना और यूनिक आईडी में थर्ड जेंडर को उनकी अलग पहचान दिलाने के बाद सिस्फा-इस्फी अब किन्नर आयोग की लड़ाई लड़ रही है। डॉ. हुदा की मांग किन्नरों को विकलांगता की श्रेणी में भी रखने की है, ताकि इन्हें विकलांगों के लिए आरक्षित लाभ मिल सके।



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