अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो,--------

अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्ताँ आगे और भी है
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
अभी तो टूटी है कच्ची मिट्टी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं
अभी तो किरदार ही बुझे हैं।
अभी सुलगते हैं रूह के ग़म, अभी धड़कते हैं दर्द दिल के
अभी तो एहसास जी रहा है
यह लौ बचा लो जो थक के किरदार की हथेली से गिर पड़ी है
यह लौ बचा लो यहीं से उठेगी जुस्तजू फिर बगूला बनकर
यहीं से उठेगा कोई किरदार फिर इसी रोशनी को लेकर
कहीं तो अंजाम-ओ-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!















fight for Eunuchs

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किन्नरों ने की अलग गणना की मांग

10:53 AM / Posted by huda / comments (1)


नई दिल्ली, एजेंसी : देश में आजकल जाति आधारित जनगणना का मुद्दा सरगर्म है। इस सबके बीच अपने उत्थान के लिए एक ऐसे वर्ग की अलग से गिनती किए जाने की आवाज भी उठ रही है, जो सदियों से वंचित, उपेक्षित और तिरस्कृत है। पिछले साल नवंबर में चुनाव आयोग से अन्य के रूप में अलग मतदाता श्रेणी हासिल होने के बाद देश के किन्नर चाहते हैं कि मुल्क में जारी जनगणना में भी उनकी अलग श्रेणी में गिनती की जाए। अब तक किन्नरों की गणना पुरुष वर्ग में की जाती रही है और इस बार भी निर्देशों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। किन्नरों की अलग श्रेणी में गणना के लिए मुहिम चला रहे सिस्फा-इस्फी संगठन के सचिव डॉक्टर एस. ई. हुदा ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक देश में तकरीबन एक करोड़ किन्नर हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि यह वर्ग देश का सबसे उपेक्षित और तिरस्कृत तबका है। हुदा ने कहा कि इनसान होने के बावजूद समाज में हिकारत भरी नजरों से देखे जाने वाले इस वर्ग के उत्थान के लिए इसके सदस्यों की सही संख्या का पता लगाना बेहद जरूरी है ताकि उनके लिए योजनाएं बनाई जा सकें और उनका समुचित क्रियान्वयन हो सके। इस लिहाज से मौजूदा जनगणना सबसे सही मौका है और अगर यह हाथ से निकल गया तो किन्नरों के लिए आशा की किरण अगली जनगणना तक कम से कम 10 और वर्षों के लिए बुझ जाएगी। मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय ने कहा कि देश के किन्नर अपने मौलिक अधिकारों से भी वंचित हैं और उनके प्रति समाज की नकारात्मक मानसिकता ही इस वर्ग के कल्याण की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। किन्नरों की अलग से गणना को लेकर देश के महापंजीयक कार्यालय ने सूचना का अधिकार कानून के तहत दी गई जानकारी में कहा है कि देश में इस समुदाय की अलग से गिनती करने का मामला तकनीकी सलाहकार समिति (टीएसी के समक्ष रखा जाएगा। इस समिति की सिफारिशों को अंतिम फैसले के लिए सरकार के सामने पेश किया जाएगा। ऑल इंडिया किन्नर एसोसिएशन की अध्यक्ष सोनिया हाजी ने पुरुषों और महिलाओं की ही तरह किन्नरों को भी अलग श्रेणी देने की मांग करते हुए कहा कि उन्हें अलग दर्जा और पहचान मिलनी चाहिए। ऐसा नहीं होना न सिर्फ नाइंसाफी है, बल्कि मानवाधिकारों का उल्लंघन भी है। उन्होंने कहा कि किन्नर ऐसे शारीरिक दोष की बहुत बड़ी सजा भुगत रहे हैं जिसके लिए वे खुद कतई कुसूरवार नहीं हैं। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यू. पी. अरोरा ने इस मामले पर कहा कि इस वक्त समाज में समानता की बात की जा रही है, लेकिन खासा बड़ा मुद्दा होने के बावजूद किन्नरों को बराबरी का दर्जा देने के बारे में भारतीय समाज में अभी तक कोई बात नहीं हुई है। हमारे समाज में किन्नर के रूप पैदा हुए बच्चों को त्याग दिया जाता है। यह एक बड़ा गुनाह है। बहरहाल, किन्नरों की अलग जनगणना के लिए प्रयास कर रहे लोगों को उम्मीद है कि समाज तथा सरकार का नजरिए बदलेगा और इस वंचित वर्ग को उसका हक मिलेगा।

मुहिम

10:10 AM / Posted by huda / comments (0)



जनगणना २०११ में किन्नरों को अलग से स्थान दिये जाने की मुहिम में मिली बड़ी सफलता।

4:33 AM / Posted by huda / comments (0)


दिनांक ०३.०५.२०१० और ०४.०५.२०१० को संस्था सिस्फा-इस्फी को प्रधानमंत्री कार्यालय भारत सरकार तथा गृहमंत्रालय भारत सरकार से क्रमशः दो पत्र प्राप्त हुए हैं। सर्वविदित है कि ॰संस्था सय्यद शाह फरज़न्द अली एजुकेशनल एण्ड सोशल फाउंडेशन ऑफ इण्डिया॰ के सचिव डॉ० एस० ई० हुदा द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम २००५ के अन्तर्गत प्रधानमंत्री कार्यालय से देश में होने वाली पन्द्रहवीं जनगणना २०११ में किन्नर समाज की अलग से गणना किये जाने के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी माँगी गयी थी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने उपर्युक्त विषय को गंभीरतापूर्वक जानकारी में लेते हुए गृह मंत्रालय भारत सरकार को अतिशीघ्र कार्यवाही का आदेश दिये हैं और समस्त जानकारी निर्धारित समयसीमा के अन्तर्गत उप्लब्ध कराने का संस्था को भी आश्वासन दिया है।
अतः आपसे निवेदन है कि लगभग एक करोड़ आबादी वाले किन्नर समुदाय को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के लिये हमारे प्रयास को बल दें। साथ ही सविनय अनुरोध है कि किन्नरों के हक़ में उठी संस्था की इस आवाज़ को देशव्यापी आवाज़ बनाने में हमारा सहयोग करें।
भवदीय - डॉ० एस० ई० हुदा (सचिव)